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Sudhir Kakar: अलविदा ‘फ्रायड के भारतीय पुत्र

By Shubham Sharma Apr24,2024
sudhir kakar

भारतीय मनोविश्लेषण के पितामह, सुधीर कक्कड़ का 85 वर्ष की आयु में निधन

भारतीय मनोविश्लेषण जगत को एक बड़ा झटका लगा है। प्रसिद्ध मनोविश्लेषक, लेखक और सांस्कृतिक समीक्षक SUDHIR KAKAR का 22 अप्रैल 2024 को 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

विभाजन के अनुभवों से रचा एक विद्वान

कक्कड़ का जन्म 25 जुलाई 1938 को हुआ था। विभाजन के भयानक अनुभवों ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया। उनका पालन-पोषण बहुसांस्कृतिक भारत में हुआ, जिसने उनकी बौद्धिक जिज्ञासा को जगाया। उन्होंने वियना विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और बाद में फ्रैंकफर्ट में सिगमंड फ्रायड संस्थान से मनोविश्लेषण में प्रशिक्षण प्राप्त किया।

भारतीय समाज में मनोविश्लेषण का बीज

कक्कड़ ने फ्रायड के सिद्धांतों को अपनाकर भारतीय समाज में मनोविश्लेषण को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय समाज में कामुकता, रहस्यवाद और धर्म के प्रति दृष्टिकोण का गहन अध्ययन किया। यह अध्ययन इस बात को समझने का प्रयास था कि किस प्रकार धर्म, सामाजिक मानदंड और औपनिवेशिक विरासत अंतरंग संबंधों और यौन अभिव्यक्ति को प्रभावित करते हैं।

कक्कड़ ने हिंदी सिनेमा को “नए मिथकों” और “सामूहिक कल्पनाओं” का निर्माता माना। उनका मानना था कि ये सिनेमा भारत के महान सामाजिक-आर्थिक उथल-पुथल के दौरान लोगों के लिए राहत का काम करते थे। उन्होंने हिंदी सिनेमा को “हिंदू सांस्कृतिक आदर्श” का एक विनम्र प्रतिनिधि बताया।

लेखन और साहित्यिक योगदान  Sudhir Kakar

कक्कड़ न केवल एक विख्यात मनोविश्लेषक थे, बल्कि एक प्रतिष्ठित लेखक भी थे। उन्होंने 20 से अधिक गैर-कथा और कथा कृतियों की रचना की। उनके लेखन में कामुकता, धर्म और आधुनिक वैश्वीकरण के प्रभाव जैसे विषयों को प्रमुखता दी गई। उन्होंने अपने शोध के आधार पर उपन्यास भी लिखे।

उनकी कुछ प्रसिद्ध कृतियों में शामिल हैं:

  • “अंदर का बच्चा”, “मध्यकालीन भारतीय समाज का मनोविज्ञान”,
  • “संस्कृति और व्यक्तित्व”, और “महाभारत: एक मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण”।
  • उनकी रचनाओं का 22 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
  • कक्कड़ ने अपने विचारों को सरल भाषा में व्यक्त किया,
  • जिससे उनकी रचनाएं आम पाठकों तक भी पहुंच सकीं।
  • उन्होंने मनोविश्लेषण को भारतीय संदर्भ में समझने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

विदाई लेकिन अविस्मरणीय विरासत Sudhir Kakar

  • सुधीर कक्कड़ का निधन भारतीय मनोविज्ञान जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
  • उन्होंने मनोविश्लेषण के क्षेत्र में भारत का नाम रोशन किया
  • और भारतीय समाज को समझने के लिए एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया।
  • उनकी रचनाएं आने वाली पीढ़ियों के लिए भारतीय मनोविज्ञान
  • और संस्कृति को समझने का एक महत्वपूर्ण स्रोत बनी रहेंगी।

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By Shubham Sharma

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